अमर भूमि से प्रकट हुआ हूं, मर-मर अमर कहाऊंगा,जब तक तुझको मिटा न लूंगा, चैन न किंचित पाऊंगा।तुम हो जालिम दगाबाज, मक्कार, सितमगर, अय्यारे,डाकू, चोर, गिरहकट, रहजन, जाहिल, कौमी गद्दारे,खूंगर तोते चश्म, हरामी, नाबकार और बदकारे,दोजख के कुत्ते खुदगर्जी, नीच जालिमों हत्यारे,अब तेरी फरेबबाजी से रंच न दहशत...
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