विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 19

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पानी की जाति

बी.ए. की परीक्षा देने वह लाहौर गया था। उन दिनों स्वास्थ्य बहुत ख़राब था। सोचा, प्रसिद्ध डॉ॰ विश्वनाथ से मिलता चलूँ। कृष्णनगर से वे बहुत दूर रहे थे। सितम?...

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निकटता | कविता

त्रास देता है जो
वह हँसता है
त्रसित है जो

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मैंने झूठ बोला था | बाल कथा

एक बालक था। नाम था उसका राम। उसके पिता बहुत बड़े पंडित थे। वह बहुत दिन जीवित नहीं रहे। उनके मरने के बाद राम की माँ अपने भाई के पास आकर रहने लगी। वह एकदम अनप?...

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कड़वा सत्य | कविता

एक लंबी मेज
दूसरी लंबी मेज
तीसरी लंबी मेज

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शब्द और शब्द | कविता

समा जाता है
श्वास में श्वास
शेष रहता है

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रहमान का बेटा

क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलखी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठना था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने द...

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एक छलावा | कविता

बापू!
तुम मानव तो नहीं थे
एक छलावा थे

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विष्णु प्रभाकर की कविताएं

कहानी, कथा, उपन्यास, यात्रा-संस्मरण, जीवनी, आत्मकथा, रूपक, फीचर, नाटक, एकांकी, समीक्षा, पत्राचार आदि गद्य की सभी संभव विधाओं के लिए प्रसिद्ध विष्णुजी ने कवि?...

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मैं ज़िन्दा रहूँगा | कहानी

दावत कभी की समाप्त हो चुकी थी, मेहमान चले गए थे और चाँद निकल आया था। प्राण ने मुक्त हास्य बिखेरते हुए राज की ओर देखा। उसको प्रसन्न करने के लिए वह इसी प्रकार...

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सबसे सुन्दर लड़की | कहानी

समुद्र के किनारे एक गाँव था । उसमें एक कलाकार रहता था । वह दिन भर समुद्र की लहरों से खेलता रहता, जाल डालता और सीपियाँ बटोरता । रंग-बिरंगी कौड़ियां, नाना रू?...

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चोरी का अर्थ | लघु-कथा

एक लम्बे रास्ते पर सड़क के किनारे उसकी दुकान थी। राहगीर वहीं दरख़्तों के नीचे बैठकर थकान उतारते और सुख-दुख का हाल पूछता। इस प्रकार तरोताजा होकर राहगीर अ?...

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फ़र्क | लघुकथा

उस दिन उसके मन में इच्छा हुई कि भारत और पाक के बीच की सीमारेखा को देखा जाए, जो कभी एक देश था, वह अब दो होकर कैसा लगता है? दो थे तो दोनों एक-दूसरे के प्रति शंकाल?...

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विष्णु प्रभाकर की बालकथाएं

विष्णु प्रभाकर की बालकथाएं

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ईश्वर का चेहरा

प्रभा जानती है कि धरती पर उसकी छुट्टी समाप्त हो गयी है। उसे दुख नहीं है। वह तो चाहती है कि जल्दी से जल्दी अपने असली घर जाए। उसी के वार्ड में एक मुस्लिम खातू...

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अन्तर दो यात्राओं का

अचानक देखता हूँ कि मेरी एक्सप्रेस गाड़ी जहाँ नहीं रुकनी थी वहाँ रुक गयी है। उधर से आने वाली मेल देर से चल रही है। उसे जाने देना होगा। कुछ ही देर बाद वह गाड़...

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वह बच्चा थोड़े ही न था

वह एक लेखक था। उसके कमरे में दिन-रात बिजली जलती थी। एक दिन क्या हुआ कि बिजली रानी रूठ गई।
वह परेशान हो उठा। पाँच घंटे हो गए।
तभी ढाई वर्ष का शिशु उधर आ निकला?...

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मुक्ति

उसे रह-रहकर बीते दिनों की याद आ जाती थी। उसका गला भर आता था और आँखों से आँसू टपकने लगते थे। उसे मुक्त हुए अभी बहुत दिन नहीं बीते थे। उसकी मुक्ति किसी एक की म?...

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ठेका | कहानी

 
धीरे-धीरे कहकहों का शोर शांत हो चला और मेहमान एक-एक करके विदा होने लगे। लकदक करती ठेकेदारों की फैशनेबल बीवियाँ और अपने को अब भी जवान माननेवाली छोटे अफ?...

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मेरा वतन

उसने सदा की भाँति तहमद लगा लिया था और फैज ओढ़ ली थी। उसका मन कभी-कभी साइकिल के ब्रेक की तरह तेजी से झटका देता, परन्तु पैर यन्त्रवत् आगे बढ़ते चले जाते। यद्?...

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विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar का जीवन परिचय