निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥अँग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥
निज भाषा उन्नति बिना, कबहुँ न ह्लै है सोय।लाख उपाय अनेक यों, भले करे किन कोय॥इक भाषा इक जीव इक, मति सब घर के लोग। तबै बनत है सबन सों, म...
पूरा पढ़ें...