गुरु घंटाल

रचनाकार: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

बाबू प्रहलाददास से बाबू राधाकृष्ण ने स्कूल जाने के वक्त कहा, "क्यों जनाब, मेरा दुशाला अपनी गाड़ी पर लिए जाइएगा?"

उन्होंने जवाब दिया, "बड़ी खुशी से। मगर फिर आप मुझसे दुशाला किस तरह पाइएगा?"

राधाकृष्ण जी बोले, "बड़ी आसानी से, क्योंकि मैं भी तो उसे अगोरने साथ ही चलता हूँ।"

- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र