अलका सिन्हा साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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टेलीपैथी

ऐन उसी वक्तमोबाइल परबज उठा तुम्हारा नंबर जब मैं तुम्हें याद कर रही थी
तो क्या सोच रहे थेतुम भी वहीमहसूस कर रहे थेतुम भी वैसा ही
दस्तक दी थीया कि तुम्हारी व्यस्तता के बीच मेरी भावतीव्रता नेकह सकते हो जिसेटेलीपैथी
कि कागज़-कलम छोड़मचलकर उँगलियों ने तुम्हारी मिला दिया था मेरा नंबर अनायास ही...
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जिंदगी की चादर

जिंदगी को जिया मैंनेइतना चौकस होकर जैसे कि नींद में भी रहती है सजग चढ़ती उम्र की लड़की कि कहीं उसके पैरों सेचादर न उघड़ जाए।
- अलका सिन्हा

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जन्मदिन मुबारक

बगल के कमरे से उठती हुई दबी-दबी हँसी की आवाज उसके कमरे से टकरा रही है। ये हँसी है या चूड़ियों की खनक! पता नहीं, शायद दोनों ही आवाजें हैं। इन आवाजों के सिवा है भी क्या उसकी दुनिया में! एक अंधेरा उसके चारों ओर गहराने लगा है। अंधेरा जितना गहरा होता जाता है, आवाज उतनी तेज होने लगती है, चिरपरिचित अंधेर...

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मैं करती हूँ चुमौना

कोहरे की ओढ़नी से झांकती है संकुचित-सी वर्ष की पहली सुबह यह स्वप्न और संकल्प भर कर अंजुरी में इस उनींदी भोर का स्वागत,मैं करती हूँ  चुमौना।
इस बरस के ख्वाब हों पूरे सभी बदनजर इनको न लग जाए कभी दोपहर की धूप में काजल मिलाकर मैं लगाती हूं सुनहरे साल के गाल पर काला डिठौना।
फिर वही बच्चों ...

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मिनी 


मिनी ने कमरे में धीरे से झांका, मम्मी सो रही थीं। यह और प्रतीक्षा नहीं कर सकती थी। उसने हलकी-सी आवाज लगाई। 
"मम्मी।"
मम्मी ने पता नहीं सुना या नहीं, पर उन्होंने करवट बदली। इस बार कुछ और ऊंची आवाज में मिनी ने पुकारा। मम्मी नींद से चौंक उठीं। 
"क्या हुआ?" स्वर में थोड़ी चिंता, थोड़ा ...

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अलका सिन्हा का जीवन परिचय