अलका सिन्हा साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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टेलीपैथी

ऐन उसी वक्त
मोबाइल पर
बज उठा तुम्हारा नंबर

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जिंदगी की चादर

जिंदगी को जिया मैंने
इतना चौकस होकर
जैसे कि नींद में भी रहती है सजग

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जन्मदिन मुबारक

बगल के कमरे से उठती हुई दबी-दबी हँसी की आवाज उसके कमरे से टकरा रही है। ये हँसी है या चूड़ियों की खनक! पता नहीं, शायद दोनों ही आवाजें हैं। इन आवाजों ...

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मैं करती हूँ चुमौना

कोहरे की ओढ़नी से झांकती है
संकुचित-सी वर्ष की पहली सुबह यह
स्वप्न और संकल्प भर कर अंजुरी में

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मिनी 

मिनी ने कमरे में धीरे से झांका, मम्मी सो रही थीं। यह और प्रतीक्षा नहीं कर सकती थी। उसने हलकी-सी आवाज लगाई। 
"मम्मी।"
मम्मी ने पता नहीं सुना या...

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अलका सिन्हा का जीवन परिचय