एक तिनका सड़क के किनारे पड़ा हुआ दो आदमियों की बातचीत सुन रहा था।
उनमें से एक तो उसका रोज़ का साथी जूते गाँठने वाला एक मोची था और दूसरा राहगीर, जो अपने फटे जूते निकालकर मोची से पूछ रहा था—'क्यों, इनकी मरम्मत कर दोगे? क्या लोगे?’ मोची ने कहा—‘छह आने लूँगा, बाबू साहब।
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