जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 4

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जनता की सरकार

एक तिनका सड़क के किनारे पड़ा हुआ दो आदमियों की बातचीत सुन रहा था।
उनमें से एक तो उसका रोज़ का साथी जूते गाँठने वाला एक मोची था और दूसरा राहगीर, जो अपने फटे जूते निकालकर मोची से पूछ रहा था—'क्यों, इनकी मरम्मत कर दोगे? क्या लोगे?’ मोची ने कहा—‘छह आने लूँगा, बाबू साहब।
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जिल्दसाज़

वह अधेड़ जिल्दसाज़ सबेरे से शाम तक और अँधेरा होने पर दिए की रोशनी में बड़ी रात तक, अपनी छोटी-सी दुकान में अकेला एक फुट लंबी चटाई पर बैठा किताबों की जिल्दें बाँधा करता। उसकी मोटी व भद्दी अँगुलियाँ बड़ी उतावली से अनवरत रंग-बिरंगे कागजों के पन्नों में उलझती रहतीं और उसकी धुंधली आँखें नीचे को झुकी का...

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अभिसारिका | गद्यगीत

प्रतिदिन संझा लाली से झोली भर अभिसार के लिए अपना श्रृंगार करती है। तारे आकर गीत गाने लगते हैं।
आँखों की काली रेखा को पारकर मद का संगीत सारे जगत में बहकर फैल जाता है। पैरों के पायल मीठी गत में बजकर एक रसना की सृष्टि करते हैं।
उस पार खड़ा प्रेमी अपनी इस चिरयौवना नायिका को अभिसार के लिए आते देख कु...

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आदमी और कुत्ता

मैं आपके सामने अपने एक रेल के सफर का बयान पेश कर रहा हूँ। यह बयान इसीलिए है कि सफर में मेरे साथ जो घटना घटी उसका कभी आप अपने जीवन में सामना करें तो आप अपनी किंकर्तव्यविमूढ़ता झिटककर अपने भीतर बैठे आदमी के साथ उचित न्याय कर सकें।
सो जिस दिन का यह जिक्र है उस दिन गाड़ी में खूब भीड़ थी। अब तो गाड़ि...

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जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली का जीवन परिचय