रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 30

Author Image

मेरा शीश नवा दो - गीतांजलि

मेरा शीश नवा दो अपनी
चरण-धूल के तल में।
देव! डुबा दो अहंकार सब

पूरा पढ़ें...

नहीं मांगता

नहीं मांगता, प्रभु, विपत्ति से,
मुझे बचाओ, त्राण करो
विपदा में निर्भीक रहूँ मैं,

पूरा पढ़ें...

बहुत वासनाओं पर मन से | गीतांजलि

बहुत वासनाओं पर मन से हाय, रहा मर,
तुमने बचा लिया मुझको उनसे वंचित कर ।
संचित यह करुणा कठोर मेरा जीवन भर।

पूरा पढ़ें...

अरे भीरु

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार
इस नैया का और खिवैया, वही करेगा पार ।
आया है तूफ़ान अगर तो भला तुझे क्या आर

पूरा पढ़ें...

अनसुनी करके

अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर

पूरा पढ़ें...

चीन्हे किए अचीन्हे कितने | गीतांजलि

हुत वासनाओं पर मन से हाय, रहा मर,
तुमने बचा लिया मुझको उनसे वंचित कर ।
संचित यह करुणा कठोर मेरा जीवन भर।

पूरा पढ़ें...

विपदाओं से मुझे बचाओ, यह न प्रार्थना | गीतांजलि

विपदाओं से मुझे बचाओ, यह न प्रार्थना,
विपदाओं का मुझे न होवे भय ।
दुःख से दुखे हृदय को चाहे न दो सांत्वना,

पूरा पढ़ें...

विकसित करो हमारा अंतर | गीतांजलि

विकसित करो हमारा अंतर
           अंतरतर हे !
 उज्ज्वल करो, करो निर्मल, कर दो सुन्दर हे !

पूरा पढ़ें...

तू, मत फिर मारा मारा

निविड़ निशा के अन्धकार में
जलता है ध्रुव तारा
अरे मूर्ख मन दिशा भूल कर

पूरा पढ़ें...

अशेष दान

किया है तुमने मुझे अशेष, तुम्हारी लीला यह भगवान!
रिक्त कर-कर यह भंगुर पात्र, सदा करते नवजीवन दान॥
लिए करमें यह नन्हीं वेणु, बजाते तुम गिरि-सरि-तट धूम।

पूरा पढ़ें...

घास में होता विटामिन

घास में होता विटामिन
गाय, भेड़ें, घोड़े;
घास खाकर जीते, उनके

पूरा पढ़ें...

तोता-कहानी | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी

एक था तोता । वह बड़ा मूर्ख था। गाता तो था, पर शास्त्र नही पढ़ता था । उछलता था, फुदकता था, उडता था, पर यह नहीं जानता था कि क़ायदा-क़ानून किसे कहते हैं ।
राजा बोल...

पूरा पढ़ें...

स्वामी का पता

गंगा जी के किनारे, उस निर्जन स्थान में जहाँ लोग मुर्दे जलाते हैं, अपने विचारों में तल्लीन कवि तुलसीदास घूम रहे थे।
उन्होंने देखा कि एक स्त्री अपने मृतक पत...

पूरा पढ़ें...

भिखारिन | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी

अन्धी प्रतिदिन मन्दिर के दरवाजे पर जाकर खड़ी होती, दर्शन करने वाले बाहर निकलते तो वह अपना हाथ फैला देती और नम्रता से कहती- "बाबूजी, अन्धी पर दया हो जाए।"
वह ?...

पूरा पढ़ें...

काबुलीवाला | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी

मेरी पाँच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, "बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह 'काक' को 'कौआ' कहता है। वह कुछ ज?...

पूरा पढ़ें...

अनधिकार प्रवेश | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी

एक दिन प्रात:काल की बात है कि दो बालक राह किनारे खड़े तर्क कर रहे थे। एक बालक ने दूसरे बालक से विषम-साहस के एक काम के बारे में बाज़ी बदी थी। विवाद का विषय यह ?...

पूरा पढ़ें...

अनमोल वचन | रवीन्द्रनाथ ठाकुर

प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है।
तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है।
प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश न?...

पूरा पढ़ें...

गीतांजलि

यहाँ हम रवीन्द्रनाथ टैगोर (रवीन्द्रनाथ ठाकुर) की सुप्रसिद्ध रचना 'गीतांजलि'' को श्रृँखला के रूप में प्रकाशित करने जा रहे हैं। 'गीतांजलि' गुरूदेव रवीन्द्?...

पूरा पढ़ें...

दिन अँधेरा-मेघ झरते | रवीन्द्रनाथ ठाकुर

यहाँ रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचना "मेघदूत' के आठवें पद का हिंदी भावानुवाद (अनुवादक केदारनाथ अग्रवाल) दे रहे हैं। देखने में आया है कि कुछ लोगो ने इसे केदारनाथ...

पूरा पढ़ें...

चल तू अकेला! | रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविता

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,

पूरा पढ़ें...

रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं

रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताएं - गुरूदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविताओं का संकलन।

पूरा पढ़ें...

विपदाओं से रक्षा करो, यह न मेरी प्रार्थना | बाल-कविता

विपदाओं से रक्षा करो-
यह न मेरी प्रार्थना,
यह करो : विपद् में न हो भय।

पूरा पढ़ें...

अकेला चल | रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविता

अनसुनी करके तेरी बात, न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर अकेला बढ़ चल आगे रे।
अरे ओ पथिक अभागे रे।

पूरा पढ़ें...

ओ मेरे देश की मिट्टी | बाल-कविता

ओ मेरे देश की मिट्टी, तुझपर सिर टेकता मैं।
तुझी पर विश्वमयी का,
तुझी पर विश्व-माँ का आँचल बिछा देखता मैं।।

पूरा पढ़ें...

राजा का महल | बाल-कविता

नहीं किसी को पता कहाँ मेरे राजा का राजमहल!
अगर जानते लोग, महल यह टिक पाता क्या एक पल?
इसकी दीवारें चाँदी की, छत सोने की धात की,

पूरा पढ़ें...

रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore का जीवन परिचय