प्रो. राजेश कुमार साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 11

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अच्छा है कि दिल पास में नहीं था

हैप्पी जी को दिल का दौरा पड़ गया, और उन्हें दो स्टंट लगवाने पड़े। हैप्पी जी विदेश में रहते हैं, इसलिए उनकी चिकित्सा देखभाल तत्काल हो गई। अगर हमारी तरह भारत में रहते, तो उन्हें चिकित्सा तक पहुँचने के लिए भी बहुत सारे स्टंट करने पड़ते हैं, और फिर आगे तो खैर भगवान ही मालिक रहता ही है।
दिल के दौरे प...

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कला कौ अंग | दोहे

लेखक का गुण एक ही करै भँडौती धाय।पुरस्कार पै हो नज़र ग्रांट कहीं मिल जाय॥
तू लिख तारीफ़ मैं और करैं विपरीत।लेखन ऐसे ही चलै गाल बजावन रीति॥
रोज़ चार कर काव्य सृजन एक व्यंग्य को खींच।फ़ेसबुकवा पै छाप कै बड़ौ रचक बन लीज॥
कालजयी रचना करत गुणवत्ता पै ध्यान।कागज़ काले कर बढ़ै तू पीछे छुट जान॥
चाहे ...

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तेरा न्यू ईयर तो मेरा नया साल

नया साल आ गया है और हमारे महाकवि इस तैयारी में है किस अभूतपूर्व और बेजोड़ तरीके से लोगों को नए साल की शुभकामनाएँ दी जाएँ कि वे बस अश-अश करते रह जाएँ। तभी उनके मन में संदेह का कीड़ा रेंगा, जिसके चलते वे हाल ही में उन्होंने लोगों को क्रिसमस दिवस मनाने को मानसिक गुलामी का प्रतीक घोषित करते हुए, तुलस...

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हिंदी में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल

हम कभी-कभी शुद्धतावादी लोगों से सुनते हैं कि हिंदी में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आपने इस तरह की सूची भी देखी होगी, जिसमें लोग उर्दू शब्दों के हिंदी पर्याय देते हैं और सुझाव देते हैं कि उनके स्थान पर हिंदी शब्दों का ही उपयोग करना ज्यादा उचित होगा।
इसे कभी-कभी देशभक्ति, राष्ट्रप्रे...

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प्रो. राजेश कुमार के दोहे

नव पल्लव इठलात हैं हर्ष न हिये समात।हिल-डुल न्यौता देत हैं मौसम की क्या बात॥
पात पात सब झरि गए जर्जर लगता ठूँठ।नव कोंपल मुस्काय कै जीवन देती रूख॥
कोहरे ने सब लील कै सब अदृश्य कर दीन।प्रेम किरण बरसाय कै कर दो रोशन दीन॥
जी-जी करती रहत है जी की करती नाहिंजी में क्या है कहै नहिं डरपत है जी मांहि॥
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अपने-अपने युद्ध, अपनी-अपनी झंडाबरदारी

झंडा हमारा गौरव है, हमारी शान है, हमारी बान है, हमारी आन है, हमारी पहचान है। लहराते हुए झंडे को देखते ही महाकवि के शरीर में सिहरन दौड़ जाती है, वे देश-प्रेम की भावना में गोते खाने लगते हैं, मातृभूमि के लिए कुछ कर गुज़रने कि भावनाओं में बहने लगते हैं।
रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। वह कहता रह...

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पत्रकार, आज़ादी और हमला

मास्टर अँगूठाटेक परेशानी की हालत में इधर से उधर फिर रहे थे, जैसे कोई बहुत ग़लत घटना हो गई हो, और वे उसे सुधारने के लिए भी कुछ न कर पा रहे हों।“क्यों परेशान घूम रहे हो? ऐसा क्या हो गया?" लतीपतीराम ने पूछा।
“अरे देखो, कोई पत्रकार आज़ादी से काम भी नहीं कर सकता। पत्रकारों की आज़ादी पर हम...

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और बुलडोज़र गिरफ़्तार हो गया

यह इतना आसान काम नहीं था, लेकिन आखिर पुलिस ने अपनी मुस्तैदी से बुलडोज़र को गिरफ़्तार कर ही लिया। बुलडोज़र के लिए हथकड़ी अभी तक नहीं बनी है, इसलिए पुलिस ने उसे रस्सों से बाँधकर ही अपने कब्जे में किया। चारों तरफ़ इस बात से हर्षोल्लास फैल गया, सरकार ने पुलिस की पीठ ठोंकी, और पुलिस ने कहा कि इस बड़ी ...

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महाकवि और धारा 420 सीसी की छूट

महाकवि रोज़-रोज़ की बढ़ने वाली क़ीमतों, पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में लगी हुई आग, और रोज़-रोज़ लगाए जाने वाले तरह-तरह के टैक्स से बहुत परेशान थे। वे अपनी वेतन पर्ची में देखते थे की उनकी तनख़्वाह तो दिनोदिन घटती जा रही है, जो टैक्स का कॉलम जो था, वह दिनोदिन बढ़ता जा रहा है। उन्हें ऐसा लगने लगा थ...

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लेखक पर दोहे

लेखक का गुण एक ही करै भँडौती धाय।पुरस्कार पै हो नज़र ग्रांट कहीं मिल जाय॥
तू लिख तारीफ़ मैं और करैं विपरीत।लेखन ऐसे ही चलै गाल बजावन रीति॥
रोज़ चार कर काव्य सृजन एक व्यंग्य को खींच।फ़ेसबुकवा पै छाप कै बड़ौ रचक बन लीज।।
कालजयी रचना करत गुणवत्ता पै ध्यान।कागज़ काले कर बढ़ै तू पीछे छुट जान॥
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पासपोर्ट की एफ़.आई.आर | व्यंग्य

मेरा पासपोर्ट कहीं खो गया था। मुझे याद है कि पिछली बार मैंने उसे अपने बैग में रखा था। अपनी चीज़ों के मामले में मैं बहुत लापरवाह हूँ। मैं बैग को अपने दफ़्तर के कमरे में रखकर उसे भूल जाता था और उसे तभी याद करता था, जब मुझे उसमें से कुछ चाहिए होता था या उसे उठाकर घर जाना होता था। मुझे लगता था कि किस...

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प्रो. राजेश कुमार का जीवन परिचय