सुभाष मुनेश्वर | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 2

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मुर्गे जी महाराज

सुबह उठे कि दिये बाँग मुर्गे जी महाराज आप जगे औरों को जगायेकर ऊंची आवाज।
फट-फट-फट फिर कुकररूँ कूँज़ोरों से गोहराये एक नहीं पर सब मुर्गे अपनी आवाज उठायें।
बाँग दिये फिर चले ढूँढनेइधर-उधर अनाज मुर्गी बच्चों की टोली मेंमुर्गे जी महाराज।
-सुभाष मुनेश्वर, वैलिंगटन न्यूज़ीलैंड ई-मेल : smun...

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नंगोना

जहाँ नंगोने की थारी वहाँ जनता है उमड़ी भारी, सिकुड़ गई चेहरे की चमड़ी बिगड़ी है सूरत प्यारी, फिर भी कुटे और छने नंगोनाचल रही प्याली पर प्याली।
बेटा बिना फीस दे पढ़ताबेटी बिन पुस्तक के, फिर भी बापू रात-रात भरपिये नंगोना कसके।
कभी-कभी भोजन भी दूभर घर में पड़ गये लाले, फिर भी बापू पिये रात भर दिन ...

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सुभाष मुनेश्वर | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय