कोई बारिश पड़े ऐसी, जो रिसते घाव धो जाएभले आराम कम आए, ज़रा सा दर्द तो जाए
बहुत चाहा कभी मैंने, मेरी मर्ज़ी चले थोड़ीयही मर्ज़ी है अब मेरी, जो होना है,सो हो जाए
बड़ी छोटी थी वो ख्वाहिश, जिसे दिल में जगह दी थीनहीं मालूम था सरसब्ज़, कितने बीज बो जाए
न जाने कौन सी मंज़िल है, जो चुंबक सरीखी हैकि ख...
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