डॉ रमेश पोखरियाल निशंक साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 13

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बस एक ही इच्छा

उसका भोला-भाला चेहरा न जाने क्यों मुझे बार-बार अपनी ओर आकर्षित किये जा रहा था। उसने मेरा सूटकेस पकड़ा और कमरे की ओर चल दिया। कमरे से सम्बंधित सभी जानकारी देने के बाद वह बोला अच्छा बाबू जी ! मैं चलूं? मेरी स्वीकृति के बाद वह लौट गया।
उसका शांत चेहरा किसी मजबूरी का अहसास करा रहा था। हाथ मुंह धोने ...

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मनीऑर्डर

'सुन्दरू के पिता का मनीऑर्डर नहीं आया, इस बार न जाने क्यों इतनी देर हो गयी? वैसे महीने की दस से पन्द्रह तारीख के बीच उनके रुपये आ ही जाते थे। उनकी ड्यूटी आजकल लेह में है। पिछले महीने तक बे सुदूर आईजॉल मिजोरम में तैनात थे, तब भी पैसे समय पर आ गये थे, किन्तु इस बार तो हद हो गयी थी। आज महीने की सत्त...

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हिंदी देश की शान

एकता की सूचक हिदी भारत माँ की आन है,कोई माने या न माने हिदी देश की शान है।भारत माँ का प्राण हैभारत-गौरव गान है।सैकड़ों हैं बोलियाँ पर हिदी सबकी जान है,सुंदर सरस लुभावनी ये कोमल कुसुम समान है।हृदय मिलाने वाली हिदी नित करती उत्थान है,कोई माने या न माने हिदी सत्य प्रमाण है।भारत माँ की प्राण है,भारत-...

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मातृ-वंदना

कंठ तेरे हैं अनेकों, स्वर तुम्हारा एक है,स्वर तुम्हारे पूज्यपादों में भी मेरा एक है।कंठ सारे एक होकर, गान तेरा ही करें,भू-जगत् की पूज्यमाता, कष्ट-दुख सब ही हरें।माँ तुम्हारे शीश अगणित, एक सिर मेरा भी है,चरण-कमलों में तेरे माँ, एक यह चेहरा भी है।सैकड़ों मस्तक चढ़े माँ, मैं भी उनमें एकहूँ,चाहता हूँ व...

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देश पीड़ित कब तक रहेगा

अगर देश आँसू बहाता रहा तो,ये संसार सोचो हमें क्या कहेगा?नहीं स्वार्थ को हमने त्यागा कहीं तोनिर्दोष ये रक्त बहता रहेगा,ये शोषक हैं सारे नहीं लाल मेरेचमन तुमको हर वक़्त कहता रहेगा।अगर इस धरा पर लहू फिर बहा तोये निश्चित तुम्हारा लहू ही बहेगा,अगर देश आँसू बहाता रहा तो,ये संसार सोचो हमें क्या कहेगा?अग...

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ये देश है विपदा में

देश हमारा है विपदा में, साथी तुम उठ जाओ।सब कुछ न्यौछावर कर दो,देशभक्ति मन में भर दो,तूफ़ानों के इस रस्ते में, साथी गीत विजय के गाओ,देश हमारा है विपदा में, साथी तुम उठ जाओ।
विपदा में तुम डिगो नहीं,तूफ़ानों में झुको नहीं,मर-मिट जाएँ, रुकें न पल भी, व़्ाफ़सम देश की खाओ,देश हमारा है विपदा में, साथी ...

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हम दुनिया की शान

हिदुभूमि के निवासी, हम दुनिया की शान हैं।रंग-रूप सब भिन्न-भिन्न परराष्ट्र मन सब एक हैं,भाव सभी के एक सरीखेभाषा चाहे अनेक हैं।हम परहित न्यौछावर होकर जीवन देते दान हैंहिदुभूमि के निवासी हम दुनिया की शान हैं।
लक्ष्य रहा सर्वोच्च हमाराऔर इरादे नेक हैं,हिद देश के निवासीहम सभी एक हैं।हम भारत के मानबिं...

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काँटों की गोदी में

काँटों की शैया में जिसनेकोमलता को छोड़ा ना,चुभन पल-पल होने पर भीसाहस जिसने तोड़ा ना।
जो विकसित संघर्ष में होताकाँटों से लोरी सुनता,धैर्य सदा ही मन में रखतानहीं विपदा से वह डरता।
पास आ मुझे कहता वोजीवन में हर कष्ट सहो,संकट की इन घड़ियों मेंआगे बढ़ते सदा रहो।
- रमेश पोखरियाल 'निशंक'   ...

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साथ लिए जा

दुर्गम और भीषणबड़ी चट्टानें पार कर,उसको भी तू साथ लिए जाजो बैठा है हारकर।
क़दम-क़दम तू क़दम बढ़ासंघर्ष कर जोखिम उठा,फेंक निराशा को कोसोंतू आशा के गाने गा।
और तभी यह तेरालक्ष्य तुझे मिल जाएगा,घोर अँधेरा चीरकरतू सदा रोशनी पाएगा।
- रमेश पोखरियाल 'निशंक'       [जीवन-पथ में]

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कसौटी

जो चटटानों से न टकराएवो कब झरना बनता है,उलझते टकराते इन राहों मेंये झरना हरपल छनता है।
दुस्सह थपेड़ों को सहकरबाधाएँ पार जो करता है,वही जीवन के अभिनव पथ परलक्ष्य-शिखर को पाता है।
कठिन डगर की आग में तपकरकर्म हथौड़ों से सधता है,दिन-रात कसौटी पर हो खरावो स्वर्ण समान ही बनता है।
- रमेश पोखरियाल 'नि...

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मुकाम

हमेशा छोटी-छोटीगलतियों से बचनाअच्छा होता है,छोटी-छोटी गलतियोंसे ही इनसानऊँचाइयों को खोता है,इनसान को देखो तोवह पहाड़ से नहींपत्थरों से ठोकर खाता है। जो ठोकर खाकरसँभल जाएवही अपना मुकाम पाता है।
- रमेश पोखरियाल ‘निशंक'    [सृजन के बीज]
 
 
 

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जीवन और मौसम

छँटने लगे हैं बादलधुंध होने लगी कम,नई सुबह की है आहटबदलने लगा मौसम। दिखने लगा रास्तामिटने लगा है भ्रम,जीवन की घोर बाधाएँदृढ़ता के सामनेपड़ने लगी हैं कम। प्रकृति के साथ-साथजीवन का भीबदलने लगा जीवन।
- रमेश पोखरियाल 'निशंक'      [संघर्ष जारी है]
 
 
 

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रमेश पोखरियाल 'निशंक' की क्षणिकाएँ

रिश्ते
रिश्ते निभाने के लिएकहाँ कसमें खानी पड़ती हैं कहाँ शर्तें रखनी पड़तीहैं भारी ।रिश्तों में होनी चाहिएबस, ईमानदारी, विश्वास और समझदारी।
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दोस्ती
दोस्ती बड़ी नहीं होती है निभानेवाला बड़ा होता है,दोस्ती कर, नहीं निभा सकनेवाला हमेशा चौराहे पर रोता है।
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वजह
यादों की मीनार बनकर मरने-बिछुड...

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डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का जीवन परिचय