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सहजो बाई के गुरु पर दोहे

'सहजो' कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाहिं ।
हरि तो गुरु बिन क्या मिलें, समझ देख मन माहि।।
परमेसर सूँ गुरु बड़े, गावत वेद पुराने।

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गुरु महिमा | पद

राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।।
हरि ने जन्म दियो जग माहीं। गुरु ने आवा गमन छुटाहीं ।।
हरि ने पाँच चोर दिये साथा। गुरु ने लई छुटाय...

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सहजो बाई का जीवन परिचय