'सहजो' कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाहिं । हरि तो गुरु बिन क्या मिलें, समझ देख मन माहि।। परमेसर सूँ गुरु बड़े, गावत वेद पुराने।
राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।। हरि ने जन्म दियो जग माहीं। गुरु ने आवा गमन छुटाहीं ।। हरि ने पाँच चोर दिये साथा। गुरु ने लई छुटाय...