विनोदशंकर व्यास साहित्य Hindi Literature Collections

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विधाता

चीनी के खिलौने, पैसे में दो; खेल लो, खिला लो, टूट जाए तो खा लो--पैसे में दो।
सुरीली आवाज में यह कहता हुआ खिलौनेवाला एक छोटी-सी घंटी बजा रहा था।
उसको आवाज सुनते ही त्रिवेणी बोल, उठी-- माँ, पैसा दो, खिलौना लूँगी।
आज पैसा नहीं है, बेटी।
एक पैसा माँ, हाथ जोड़ती हूँ।
नहीं है त्रिवेणी, दूसरे दिन ल...

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विनोदशंकर व्यास का जीवन परिचय