स्वरांगी साने साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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सपना

खुली आँखों से
सपना देखती
सपने को टूटता देखती

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पीहर

कविता में जाना
मेरे लिए पीहर जाने जैसा है।
मुक़ाम पर पहुँचते ही

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प्याज़

बहुत सारा
प्याज़ काटने बैठ जाती थी माँ।
कहती थी मसाला भूनना है।

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कछुआ

बचपन में कछुए को देखती
तो सोचती थी
क्या देखता होगा

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प्रतीक्षा

बेटी आने वाली है
यह सोच कर
उसकी आँखें सुपर बाजार हो जाती हैं

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कागज़

उन पीले ज़र्द कागज़ों के पास
कहने को बहुत कुछ था।
उन कोरे नए कागज़ों के पास

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स्वरांगी साने का जीवन परिचय