अमृतराय साहित्य Hindi Literature Collections of Amrit Rai

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ख़ास कहानी | संस्मरण

सन् 35 के दिनों की बात है। मैंने तब साल डेढ़ साल पहले से लिखना शुरू ही किया था। मैं तब इलाहाबाद में रहता था। हाईस्कूल में पढ़ता था और प्रेमचंद बम्बई से लौटकर बनारस आ गए थे। 
मैंने अपनी एक कहानी पिताजी के पास उनकी राय और इसलाह के लिए भेजी। यह कहानी कुछ ऐसी थी जिसमे करुणरस की स्रोतस्विनी बहाने...

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गीली मिट्टी

नींद में ही जैसे मैंने माया की आवाज़ सुनी और चौंककर मेरी आंख खुल गई। बगल के पलंग पर नज़र गई, माया वहां नहीं थी। आज इतने सवेरे माया कैसे उठ गई, कुछ बात समझ में नहीं आई ।
आवाज़ दरवाज़े पर से आई थी । मैं हड़बड़ाकर उठा और वहां पहुंचा, तो क्या देखता हूं कि माया दरवाज़ा खोले खड़ी है और बाहर के बरामदे ...

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अमृतराय का जीवन परिचय