तुम्हारे जिस्म जब-जब धूप में काले पड़े होंगे हमारी भी ग़ज़ल के पाँव में छाले पड़े होंगे अगर आँखों पे गहरी नींद के ताले पड़े होंगे
कुंअर बेचैन ग़ज़ल संग्रह - यहाँ डॉ० कुँअर बेचैन की बेहतरीन ग़ज़लियात संकलित की गई हैं। विश्वास है आपको यह ग़ज़ल-संग्रह पठनीय लगेगा।
अपना जीवन निहाल कर लेते औरों का भी ख़याल कर लेते जब भी पूछो हो हमसे पूछो हो
कोई फिर कैसे किसी शख़्स की पहचान करे सूरतें सारी नकाबों में सफ़र करती हैं अच्छे इंसान ही घाटे में रहे हैं अक्सर
दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया
दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए रहते हमारे पास तो ये टूटते ज़रूर
करो हम को न शर्मिंदा बढ़ो आगे कहीं बाबा हमारे पास आँसू के सिवा कुछ भी नहीं बाबा कटोरा ही नहीं है हाथ में बस फ़र्क़ इतना है
धूप से छाँव की कहानी लिख आह से आँसुओं की बानी लिख यह करिश्मा भी कर मुहब्बत में
पूछ रहीं सूखी अंतड़ियाँ चेहरों की चिकनाई से ! कब निकलेगा देश हमारा निर्धनता की खाई से !!
मेरे इस दिल में क्या है क्या नहीं है अभी तक मैंने ये सोचा नहीं है कथा आँसू की चलती ही रहेगी
आज जो ऊँचाई पर है क्या पता कल गिर पड़े इतना कह के ऊँची शाख़ों से कई फल गिर पड़े साँस की पायल पहन कर ज़िंदगी निकली तो है