रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 180

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चौबीस घंटे की कथा

[ न्यूजीलैंड श्रम दिवस की ऐतिहासिक कथा ] 
बात 1839 के अंतिम महीनों की है। एक समुद्री जहाज इंग्लैंड से न्यूजीलैंड के लिए रवाना हुआ। 
इसी जहाज में सेम्युल डंकन पार्नेल (Samuel Duncan Parnell) नाम का एक बढ़ई और जॉर्ज हंटर (George Hunter) नाम का एक शिपिंग एजेंट भी यात्रा कर रहे थे। इसी सम...

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पारस पत्थर

'एक बहुत गरीब आदमी था। अचानक उसे कहीं से पारस-पत्थर मिल गया। बस फिर क्या था! वह किसी भी लोहे की वस्तु को छूकर सोना बना देता। देखते ही देखते वह बहुत धनवान बन गया।' बूढ़ी दादी माँ अक्सर 'पारस पत्थर' वाली कहानी सुनाया करती थी। वह कब का बचपन की दहलीज लांघ कर जवानी में प्रवेश कर चुका था किंतु जब-तब कि...

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विडम्बना | लघु-कथा

मेरे एक मित्र को जब भी अवसर मिलता है अँग्रेज़ी भाषा व अँग्रेज़ी बोलने वालों को आड़े हाथों लेना नहीं भूलते । 
एक दिन कहने लगे, "यार, तुम अपनी राइटिंग (लेखन) में अँग्रेज़ी वर्ड (शब्द) मत यूज़ किया करो। क्या कभी रिडर्स (पाठकों) नें इस बारे में कम्पलेन (शिकायत) नहीं की?
 

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आओ होली खेलें संग

कही गुब्बारे सिर पर फूटे पिचकारी से रंग है छूटेहवा में उड़ते रंगकहीं पर घोट रहे सब भंग!
बुरा ना मानो होली है हाँ जी, हाँ जी, होली है करते बच्चे-बूढ़े तंगबताओ कैसा है ये ढंग?
भाग रहा है आज कन्हैया नहीं बचा पाएगी मैय्या गोपियां जीत जाएंगी जंगमलेंगी जी भर उसको रंग।  
कहीं पिट रहे आज ...

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श्रमिक हाइकु

ये मज़दूरकितने मजबूरघर से दूर!
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करता श्रमआएंगे अच्छे दिनपाले है भ्रम!
- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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प्रोफेसर ब्रिज लाल

प्रोफेसर ब्रिज लाल प्रसिद्ध इंडो-फीजियन इतिहासकार थे। आप लंबे समय से निर्वासन में थे और वर्तमान में ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया के निवासी थे।
प्रोफेसर ब्रिज लाल का जन्म 21 अगस्त 1952 लम्बासा, फीजी में हुआ था। कई स्थानों पर इनका नाम  'बृज लाल' भी लिखा हुआ है लेकिन इन्होंने स्वयं अपना नाम 'ब्रिज ल...

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कलयुग | मुक्तक

कलयुग में पाई है बस यही शिक्षाहर बात पर मांगें हैं अग्नि-परीक्षाबुद्ध भी अगर आज उतरें धरा परमांगे ना देगा उन्हें कोई भिक्षा।
-रोहित कुमार 'हैप्पी'
 

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कंगारू के पेट की थैली

बहुत पुरानी बात है। उस समय कंगारू के पेट पर थैली नहीं होती थी। विज्ञान इस बारे में जो भी कहे लेकिन इस बारे में ऑस्ट्रेलिया में एक रोचक लोक-कथा है। बहुत पहले की बात है। एक दिन एक मादा कंगारू अपने बच्चे के साथ जंगल में घूम रही थी। बाल कंगारू पूरी मस्ती में था। वह जंगल में पूरी उछल-कूद कर रहा था।
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हिंदी पर दोहे

बाहर से तो पीटते, सब हिंदी का ढोल।अंतस में रखते नहीं, इसका कोई मोल ।।
एक बरस में आ गई, इनको हिंदी याद।भाषण-नारे दे रहे, दें ना पानी-खाद ।।
अपनी मां अपनी रहे, इतना लीजे जान ।उसको मिलना चाहिए, जो उसका सम्मान ।।
हिंदी की खाते रहे, अंग्रेजी से प्यार ।हिंदी को लगती रही, बस अपनों की मार ।।
हि...

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वो था सुभाष, वो था सुभाष

वो भी तो ख़ुश रह सकता थामहलों और चौबारों में।उसको लेकिन क्या लेना था,तख्तों-ताज-मीनारों से!         वो था सुभाष, वो था सुभाष!
अपनी माँ बंधन में थी जब,कैसे वो सुख से रह पाता!रण-देवी के चरणों में फिरक्यों ना जाकर शीश चढ़ाता?      अपना सुभाष, अ...

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तेरी मरज़ी में आए जो

तेरी मरज़ी में आए जो, वही तो बात होती हैकहीं पर दिन निकलता है, कहीं पर रात होती हैकहीं सूखा पड़ा भारी, कहीं बरसात होती हैतेरी मरज़ी में आए जो, वही तो बात होती है
कभी खुशियों भरे थे दिन, कभी बस पीड़ होती हैतेरी मरज़ी से जीते हैं, तुझी से मात होती हैतेरी मरज़ी में आए जो, वही तो बात होती है
मेरी य...

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ऐसे थे रहीम

रहीम दान देते समय आँख उठाकर ऊपर नहीं देखते थे। याचक के रूप में आए लोगों को बिना देखे, वे दान देते थे। अकबर के दरबारी कवियों में महाकवि गंग प्रमुख थे। रहीम के तो वे विशेष प्रिय कवि थे। एक बार कवि गंग ने रहीम की प्रशंसा में एक छंद लिखा, जिसमें उनका योद्धा-रूप वर्णित था। इसपर प्रसन्न होकर रहीम ने कव...

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स्वयं से

आजकल तुम धीमा बोलने लगीया मुझे सुनाई देने लगा कम?
आजकल तुम्हारी आवाज सुनाई नहीं देती!
कहते हैं-आत्मा दिखाई नहीं देती।
- रोहित कुमार ‘हैप्पी'
 

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फेसबुक बनाम फेकबुक

'फेसबुक' में 'बुक' तो ठीक है, पर... 'फेस'- 'फेक' है, क्योंकि-- होता कुछ है, बताते कुछ हैंकरते कुछ हैं, दिखाते कुछ हैं।यहाँ, हर कोई खुशहाल दीखता है। वास्तव में, ऐसा होता नहीं है--जिसकी अम्मा और बीवीहररोज लड़ती हैं,इसपरउनकी फोटो भी,लगी है--हँसती-मुसकुरातीजैसे, सच को चिढ़ाती।
- रोहित कुमार 'ह...

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न्यूज़ीलैंड में हिंदी का भविष्य और भविष्य की हिंदी

लगभग 50 लाख की जनसंख्या वाले न्यूज़ीलैंड में अँग्रेज़ी और माओरी न्यूज़ीलैंड की आधिकारिक भाषाएं है। यहाँ सामान्यतः अँग्रेज़ी का उपयोग किया जाता है।यद्यपि अंग्रेजी न्यूजीलैंड में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है तथापि माओरी और न्यूजीलैंड सांकेतिक भाषा, दोनों को औपचारिक रूप से न्यूजीलैंड की आधिकारिक ...

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7 दिसंबर | इतिहास के आईने में

7 दिसंबर | 7 December
इतिहास के गर्भ में प्रत्येक दिन से संबंधित अनेक कहानी, किस्से और प्रसंग छिपे हैं। आइए, जाने क्या हुआ था 7 दिसंबर को! 
7 दिसंबर 1825 - भाँप से चलने वाला पहला समुद्री जहाज ‘इंटरप्राइज’ कोलकाता (कलकत्ता) पहुंचा।
7 दिसंबर 1856 - भारत में पहला संवैधानिक रूप से...

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बालेश्वर अग्रवाल : यादों के झरोखों से

यादों के झरोखों सेस्व. बालेश्वर अग्रवाल जी ने विश्व भर में प्रवासियों एवं हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए ऐतिहासिक कार्य किया है। विश्व भर में उनके प्रति आदर का भाव रखने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है। बहुत से लोगों को शायद इसका ज्ञान न हो कि आज का प्रवासी मंत्रालय बालेश्वर जी की ही देन है।
कई ...

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न्यू मीडिया क्या है?

न्यू मीडिया क्या है?
'न्यू मीडिया' संचार का वह संवादात्मक (Interactive) स्वरूप है जिसमें इंटरनेट का उपयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर एस एस फीड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस, ट्वीट्र), ब्लाग्स, विक्किस, टैक्सट मैसेजिंग इत्यादि का उपयोग करते हुए पारस्परिक संवाद स्थापित करते हैं। यह संवाद माध्यम ब...

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वेब पत्रकारिता - योग्यताएं व संसाधन

न्यू मीडिया
न्यू मीडिया और ऑनलाइन पत्रकारिता की नई माँगें
नि:संदेह न्यू मीडिया बड़े सशक्त रूप से परंपरागत प्रचलित मीडिया को प्रभावित कर रहा है। आज पत्रकारों को न्यू मीडिया से जुड़ने के लिए नई तकनीक, आधुनिक सूचना-प्रणाली, सोशल-मीडिया, सर्च इंजन प्रवीणता और वेब शब्दावली से परिचय होना अति-आवश्यक ह...

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वेब पत्रकारिता लेखन व भाषा

वेब पत्रकारिता लेखन व भाषा
वेब पत्रकारिता, प्रकाशन और प्रसारण की भाषा में आधारभूत अंतर है। प्रसारण व वेब-पत्रकारिता की भाषा में कुछ समानताएं हैं। रेडियो/टीवी प्रसारणों में भी साहित्यिक भाषा, जटिल व लंबे शब्दों से बचा जाता है। आप किसी प्रसारण में, 'हेतु, प्रकाशनाधीन, प्रकाशनार्थ, किंचित, कदापि,...

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न्यू मीडिया विशेषज्ञ या साधक

न्यू मीडिया विशेषज्ञ या साधक
आप पिछले 15 सालों से ब्लागिंग कर रहे हैं, लंबे समय से फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब इत्यादि का उपयोग कर रहे हैं जिसके लिए आप इंटरनेट, मोबाइल व कम्प्यूटर का प्रयोग भी करते हैं तो क्या आप न्यू मीडिया विशेषज्ञ हुए? ब्लागिंग करना व मोबाइल से फोटो अपलोड कर देना ही काफी नहीं है।...

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हम भी काट रहे बनवास

हम भी काट रहे बनवासजावेंगे अयोध्या नहीं आस
पडूं रावण पर कैसे मैं भारीनहीं लक्ष्मण भी है मेरे पास
यहाँ रावण-विभीषण हैं साथकरूं लँका का कैसे मैं नास
कौन फूँकेगा सोने की लँकायहाँ है कहाँ हनुमन-सा दास
सीया बैठी है कितनी उदासराम आवेंगे है उसको आस
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
 

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बाबा | हास्य कविता

दूर बस्ती से बाहरबैठा था एक फ़क़ीरपेट से भूखा थातन कांटे सा सूखा था।
बस्ती में फ़क़ीर की ऐसी हवा हैकहते हैं -बाबा के पास हर मर्ज़ की दवा है।
आस-पास मिलने वालों की भीड थीकोई लाया फूल, किसी के डिब्बे मे खीर थी।
फ़क़ीर से माँग रहे थे वे सबजिनके मोटे-मोटे पेट थेदेखने में लगते सेठ थे।
बाबा के आगे ...

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उसे कुछ मिला, नहीं !

कूड़े के ढेर सेकुछ चुनते हुए बच्चे को देखएक चित्रकार नेकरूणामय चित्र बना डाला।
कवि नेएक मार्मिक रचनारच डाली।
एक कहानीकार ने'उसी बच्चे' परकालजयीकहानी कही।
जनता नेप्रदर्शनी में चित्र,मंच पर कविता,औरपत्रिका में छपीकहानी को ख़ूब सराहा।
पर उस बच्चे ने--चित्र, कविता और कहानी से क्या पाया?
वो अब भी...

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भिखारी| हास्य कविता

एक भिखारी दुखियाराभूखा, प्यासाभीख मांगताफिरता मारा-मारा!
'अबे काम क्यों नहीं करता?''हट......हट!!'कोई चिल्लाता,कोई मन भर की सीख दे जाता।पर.....पर....भिखारी भीख कहीं ना पाता!
भिखारी मंदिर के बाहर गयाभक्तों को 'राम-राम' बुलायाकिसी ने एक पैसा ना थमायाभगवन भी काम ना आया!
मस्जिद पहुँचाआने-जाने वालों...

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रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय