रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 180

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होली व फाग के दोहे

भर दीजे गर हो सके, जीवन अंदर रंग।वरना तो बेकार है, होली का हुड़दंग॥
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सबको कर काहे रहे, तुम होली में तंग।घोट-घोट के पी रहे, देखो कैसे भंग ॥
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मिलकर सब करने लगे, होली पर हुड़दंग।कोई फगुआ गा रहा, कोई घोटे भंग॥
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अभी तलक छोड़ी नहीं, दिल से उसने जंग।यूं होली को आ गया, मुख पर मलने रंग ॥
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अपना...

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छठा विश्व हिंदी सम्मेलन, ब्रिटेन

छठा विश्व हिंदी सम्मेलन (14-18 सितंबर, 1999)लंदन, ब्रिटेन विश्व हिंदी सम्मेलन में पारित मंतव्य
विश्व भर में हिंदी के अध्ययन-अध्यापन, शोध, प्रचार-प्रसार और हिंदी सृजन में समन्वय के लिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय केंद्र सक्रिय भूमिका निभाए।
विदेशों में हिंदी शिक्षण, पाठ्यक्रमों के निर्धारण, पाठ्...

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अथ हिंदी कथा अच्छी थी पर अपने झंडे को क्या हुआ

दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में 'हिंदी अथ कथा'  निःसंदेह अविस्मरणीय था।  'हिंदी अथ कथा' में लहराये जाने वाले झंडे से चक्र गायब था। मंत्रियों, पत्रकारों व साहित्यकारों की उपस्थिति में यह झंडा कई मिनटों तक लहराता रहा। सब तालियां बजाते रहे, झंडा भी लहराता रहा। मैंने साथ वाले पत्रकार से पूछा ...

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कुछ दोहे

आँखों से रूकता नहीं बहता उनके नीर ।अपनी-अपनी है पड़ी, कौन बँधाये धीर ।।
दुनिया सारी हो रही, पैसे की अब पीर ।ढूँढे से मिलता नहीं, जग में कहीं फकीर ।।
तपने से डरिये नहीं, तपना गुन की खान।'रोहित' जो जितना तपै, उतना बने महान॥देना है तो दे हमें, ईश यही वरदान।परहित को हम जी सकें, जब तक तन में प्रान॥
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आज के दोहे

हमने चुप्पी तान ली, नहीं करेंगे जंग ।फिर भी दुनिया ना हटे, करती रहती तंग ।। 
तेरे मेरे रास्ते,  हैं बिल्कुल ही भिन्न ।तू ‘जी-जी' करता रहे, मुझको इस से घिन्न ।।
हम को समझ न आ सके, इक-दूजे की बात । तुम व्यापारी हो भले,  मैं लेखक की जात ।।
ऑंखें अपनी मींच ले, मुँह से ...

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जीवन और संसार पर दोहे

आँखों से बहने लगी, गंगा-जमुना साथ ।माँ ने पूछा हाल जो, सर पर रख कर हाथ ।।
जिस्मों में तो जां नहीं, न चेहरों पर रंग ।देख जवानी आज की, हुआ बुढ़ापा दंग ।।
जीवन को समझा नहीं, ‘रोहित' यह संसार ।यह जीवन तो मौत ने, हमको दिया उधार ।।
जीवन में करने लगे, ‘रोहित' सभी दुकान ।मोल-भाव में खो गय...

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सातवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन, सूरीनाम

सातवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन (5-9 जून, 2003)पारामारिबो, सूरीनाम
सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ सुदूर सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में 5-9 जून, 2003 को हुआ। इक्कीसवीं सदी में आयोजित यह पहला विश्व हिंदी सम्मेलन था। सम्मेलन के आयोजक थे जानकी सिंह और यह  'विश्व हिंदी - नई शताब्दी क...

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यहीं धरा रह जाए सब | भजन

प्राण पंछी उड़ जाए जब, यहीं धरा रह जाए सब यही सिकंदर मिला धूल मेंऔर बुद्ध को निर्वाण मिला। प्राण पंछी उड़ जाए जब, यहीं धरा रह जाए सब।।
खुद को बहुत सयाना समझेसब को ठगता फिरता हैइतनी भी क्या अक्ल नहींहर जीवित इक दिन मरता हैप्राण पंछी उड़ जाए जब, यहीं धरा रह जाए सब।।
ये संगी-साथी प्यारे सब ज...

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उसे कुछ मिला, नहीं | बाल कविता

कूड़े के ढेर सेकुछ चुनते हुए बच्चे को देखएक चित्रकार नेकरूणामय चित्र बना डाला।
कवि नेएक मार्मिक रचनारच डाली ।
एक कहानीकार ने'उसी बच्चे' परकालजयीकहानी कही ।
जनता नेप्रदर्शनी में चित्र,मंच पर कविता,औरपत्रिका में छपीकहानी को ख़ूब सराहा ।
पर उस बच्चे ने चित्र, कविता और कहानी से क्या पाया?
वो अब ...

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प्रीता व्यास से बातचीत

प्रीता व्यास का जन्म भारत में हुआ लेकिन कई दशकों से वे न्यूजीलैंड निवासी हैं। आपने 175 पुस्तकें लिखी है जिनमें अधिकतर अँग्रेज़ी बाल साहित्य है। अँग्रेज़ी बाल साहित्य के अतिरिक्त आपने हिंदी में भी 'पत्रकारिता परीक्षा विश्लेषण', 'इंडोनेशिया की लोक कथाएं', 'दादी कहो कहानी', 'बालसागर क्या बनेगा...

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मदारीपुर जंक्शन के उपन्यासकार बालेंदु द्विवेदी से बातचीत

बालेंदु द्विवेदी को उनके पहले उपन्यास ‘मदारीपुर जंक्शन' ने हिंदी उपन्यासकारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया है। बालेन्दु द्विवेदी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के ब्रह्मपुर गाँव में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पैतृक गाँव के मारुति नंदन प्राथमिक विद्यालय तथा लल्लन द्विवेदी इंटर कालेज...

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सर एडमंड हिलेरी से बातचीत

यह साक्षात्कार आउटलुक साप्ताहिक के लिए 2007 में लिया गया था।  
सर एडमंड हिलेरी निसंदेह 87 वर्षीय वृद्ध हो गए हैं फिर भी उनका हौंसला आज भी माउंट एवरेस्ट की तरह अडिग है। शेरपा तेनज़िंग नोर्गे के साथ 1953 में एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाले न्यूज़ीलैंड निवासी एडमंड हिलेरी का कदम 8850 मी...

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दर्द के बोल

उसको मन की क्या कहता मैं? अपना भी मन भरा हुआ था। इसकी-उसकी, ऐसी-वैसी,जाने क्या-क्या धरा हुआ था! उसको मन की क्या कहता मैं, अपना भी मन भरा हुआ था!
जब भी घंटी बजे फोन कीभागूँ, मन पर डरा हुआ था।प्राण निगल गई, ये महामारी हरकोई अधमरा हुआ था। उसको मन की क्या कहता मैं, अपना भी मन भरा हुआ था!
पाना ...

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न्यूज़ीलैंड में हिंदी | क्या आप जानते हैं

न्यूज़ीलैंड में हिंदी : क्या आप जानते हैं? 
•    हिंदी न्यूज़ीलैंड में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। •    न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय द्वारा पहला आलेख 1930 में भारत की लोकप्रिय पत्रिका ‘विशाल भारत’ में       प्...

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पूर्णिमा वर्मन से बातचीत

इन्टरनेट पर हिंदी की वैब दुनिया की बात करें तो पूर्णिमा वर्मन एक सुपरिचित नाम  हैं और सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्तियों में से एक हैं। वैब के आरंभिक दौर में हिंदी को प्रचारित-प्रसारित करने में आपकी अहम् भूमिका रही है। आप दशकों तक शारजहा में रही हैं और वहीं आपने अपनी वैब यात्रा आरम्भ की थी।&n...

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सिना और ईल

बहुत पुरानी बात है। सामोआ द्वीप में सिना नाम की एक खूबसूरत लड़की रहती थी। सिना के घर के पास समुद्र ही समुद्र था। सिना पानी में खूब तैरती और तरह-तरह की जल क्रीडाएं करती। वहीं समुद्र तट के पास रहने वाली एक ईल मछली सिना के साथ-साथ तैरती और खेलती। समय बीतता गया और ईल सिना की बहुत अच्छी दोस्त बन गई। स...

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उच्चायुक्त मुक्तेश परदेशी से साक्षात्कार


न्यूज़ीलैंड में भारत के उच्चायुक्त मुक्तेश परदेशी ने 29 जुलाई 2019 को अपना कार्यभार सँभाला। एक राजनयिक के रूप में आप 1991 में भारतीय विदेश सेवा में सम्मिलित हुए। इससे पहले आप अप्रैल 2016 से जून 2019 तक मैक्सिको में भारत के राजदूत थे। 
आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। 199...

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इटली के हिन्‍दी भाषाविद् मार्को जोल्ली से बातचीत

इटली के हिन्‍दी भाषाविद् मार्को जोल्ली हिन्‍दी साहित्य में पीएचडी हैं। आपने भीष्म साहनी पर थीसिस लिखा है। भीष्म साहनी के उपन्यास का इटालियन में अनुवाद किया है। वे लगभग दस वर्षों से हिन्‍दी पढ़ा रहे हैं। उनको इस बार विश्व हिन्‍दी सम्मेलन का भाषा पर केन्द्रित होना अच्छा लगा। आपने ह...

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विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे से बातचीत


विश्वरंग उत्सव 2020 में पाँच महाद्वीपों के 16 देशों से 1000 से अधिक साहित्यकारों व कलाकारों ने भागीदारी की। कोरोना काल में ऐसा आयोजन अपने आप में एक उपलब्धि है। 2019 में भोपाल में आयोजित पहले विश्वरंग ने ही साहित्य और कला जगत में अपनी जड़ें बड़ी मजबूती से जमा ली थीं। साहित्य व कला के इस विश्वरं...

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हिंदी डे

'देखो, 14 सितम्बर को हिंदी डे है और उस दिन हमें हिंदी लेंगुएज ही यूज़ करनी चाहिए। अंडरस्टैंड?' सरकारी अधिकारी ने आदेश देते हुए कहा।
'यस सर!' कहकर सरकारी बाबू ने भी हामी भरी।
हिंदी-दिवस की तैयारी जोरों पर थी।
-रोहित कुमार 'हैप्पी' 

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मैं हिंदोस्तान हूँ | लघु-कथा

मैंने बड़ी हैरत से उसे देखा। उसका सारा बदन लहूलुहान था व बदन से मा‍नों आग की लपटें निकल रही थीं। मैंने उत्सुकतावश पूछा, "तुम्हें क्या हुआ है?"

"मुझे कई रोग लगे हैं; मज़हबवाद, भाषावाद, निर्धनता, अलगाववाद, भ्रष्टाचार, अनैतिकता इत्यादि जिन्होंने मुझे बुरी तरह जकड़ लिया है। यह जो आग मेरे बदन ...

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इश्तहार | लघु-कथा

"मेरा बहुत सा क़ीमती सामान जिसमें शांति, सद्‌भाव, राष्ट्र-प्रेम, ईमानदारी, सदाचार आदि शामिल हैं - कहीं गुम गया है। जिस किसी सज्जन को यह सामान मिले, कृपया मुझ तक पहुँचाने का कष्ट करे।

आपका अपना, भारत बनाम हिंदोस्तान "
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संदेश

मुझे याद है वह संदेश -'बुरा न सुनो, बुरा न कहो, बुरा न देखो!'
लेकिन...उनके कुकृत्य देखकैसे अनदेखा करूं?
कोई 'निर्भया' पुकारेतोक्या अनसुना करुं?
जब अतिक्रमण हो, उत्पीड़न हो,और.... 'तुम्हारा कहा' भी गांठ बंधा हो, परफिर भी... 
तुम ही कहोकैसे मौन रहूं?
- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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ज़िंदगी

लाचारी है, बीमारी है, ...फिर भीज़िंदगी सभी को प्यारी है!







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- रोहित   संपादक, भारत-दर्शन   न्यूज़ीलैंड



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रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय