न्यूज़ीलैंड में हिंदी : तथ्य और सत्य
• हिंदी न्यूज़ीलैंड में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है।
• न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय द्वारा पहला आलेख 1930 में भारत की लोकप्रिय पत्रिका ‘विशाल भारत’ में
प्रकाशित हुआ था।
• न्यूज़ीलैंड में हिंदी शिक्षण 1945 में आरंभ हुआ।
• न्यूज़ीलैंड में ऑनलाइन हिंदी शिक्षण 90 के दशक में इंटरनेट के आरंभिक प्रयासों में अग्रणी था। भारत-दर्शन ने
मल्टीमीडिया आधारित 'हिंदी टीचर' विकसित किया था।
• न्यूज़ीलैंड के बारे में लिखी गई पहली पुस्तक 1951 में भारत से आधिकारिक दौरे पर आए हिंदी साहित्यकार
सेठ गोविंददास ने लिखी। ‘सुदूर दक्षिण पूर्व’ नामक यह पुस्तक उन्होंने न्यूज़ीलैंड, फीजी और ऑस्ट्रेलिया की
यात्रा पर लिखी थी।
• न्यूज़ीलैंड के किसी भारतीय मूल के लेखक की पहली पुस्तक 1989 में प्रकाशित, ‘दूसरा रुख़’ थी।
• ‘एक्सेस कम्युनिटी रेडियो’ हिंदी का प्रसारण करने वाला पहला रेडियो था।
• न्यूज़ीलैंड में वैलिंगटन से दुभाषिया सेवा 1985 से उपलब्ध कराई गई थी।
• न्यूज़ीलैंड में आंशिक हिंदी पत्रकारिता और लेखन 1992 में हस्तलिपि से आरंभ हुआ।
• न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित सबसे पहली हिंदी पत्रिका ‘भारत-दर्शन’ थी जो 1996 में प्रकाशित हुई थी।
• न्यूज़ीलैंड में नियमित हिंदी लेखन 1996 से आरंभ हुआ।
• भारत-दर्शन 1997 में इंटरनेट पर प्रकाशित होने वाली विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी पत्रिका थी।
• भारत-दर्शन न्यूज़ीलैंड का सबसे पुराना सक्रिय भारतीय प्रकाशन है।
• ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका का सूत्रपात न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित भारत-दर्शन हुआ।
• भारत-दर्शन पहला प्रवासी ऑनलाइन हिंदी प्रकाशन था।
• भारत से बाहर ऑनलाइन हिंदी संसाधन और वेब ऐप विकसित करने में न्यूज़ीलैंड अग्रणी है। भारत-दर्शन ने वाणी
टंकण, छंद गणक और दोहा समीक्षक जैसी वेब ऐप विकसित की हैं।
• मार्च 2005 से जून 2008 के बीच प्रकाशित 'कूक हिंदी समाचार' न्यूज़ीलैंड का पहला हिंदी समाचार पत्र था।
• वैलिंगटन का एक उपनगर है खंडाला जिसकी गलियों के नाम भारतीय/हिंदी नाम हैं जैसे दिल्ली क्रेसेंट,
शिमला क्रेसेंट, आगरा क्रेसेंट, मद्रास स्ट्रीट, अमृतसर स्ट्रीट, पूना स्ट्रीट, गोरखा क्रेसेंट, बॉम्बे स्ट्रीट, गंगा रोड,
कश्मीरी एवेन्यू और कलकत्ता स्ट्रीट इत्यादि।
• 2018 में 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में वैलिंग्टन हिंदी स्कूल की प्रबन्धक, 'सुनीता नारायण' को न्यूज़ीलैंड में
हिंदी शिक्षण के प्रचार हेतु सम्मानित किया गया था।
• रोहित कुमार हैप्पी को वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से अलंकृत किया गया।
• प्रीता व्यास की 'पहाड़ों का झगड़ा' (माओरी लोककथाएँ), रोहित कुमार हैप्पी की 'प्रशांत की लोक-कथाएँ' हिंदी में
माओरी साहित्य के मुख्य स्रोत हैं।
• भारत के उच्चायोग और भारत-दर्शन का संयुक्त प्रकाशन 'माओरी की 101 कहावतें पुस्तक में माओरी की
101 कहावतों का अनुवाद उपलब्ध है।
[भारत-दर्शन]