'मैं तो वही खिलौना लूँगा' मचल गया दीना का लाल - 'खेल रहा था जिसको लेकर
उद्वेलित कर अश्रु-राशियाँ, हृदय-चिताएँ धधकाकर, महा महामारी प्रचण्ड हो
'काफ़िर है, काफ़िर है, मारो!' उत्तेजित जन चिल्लाये; विद्यार्थी जी बिना झिझक के
हे जीवन स्वामी तुम हमको जल सा उज्ज्वल जीवन दो! हमें सदा जल के समान ही
उस दिन बड़े सवेरे श्यामू की नींद खुली तो उसने देखा घर भर में कुहराम मचा हुआ है। उसकी माँ नीचे से ऊपर तक एक कपड़ा ओढ़े हुए कम्बल पर भूमि-शयन कर रही है और घर के...