हम सताए, खीजे, उकताए, गड्ढों-खड्ढों, गंदे परनालों से बचते, दिल्ली की सड़क पर नीचे ज़्यादा, ऊपर कम देखते चले जा रहे थे, हर दिल्लीवासी की तरह, रह-रहकर सोचते कि ह?...