नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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लीडरी का नुस्खा - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi

पांच तोला तिकड़म की छाल लाकर, 
दस तोला खुशामद के अर्क में मिलाइये, 
घोट घोट मचाइये | 
शुद्ध खादी के छन्ने में छानकर पी जाइये। 

बेदर्दी के सेफ्टी रेजर से मूंछ-दाढ़ी करो साफ़ 
कोई गाली दे जाए तो कर दो उसे माफ़। 
ऊपर से देवता अन्दर प्रपंच 
बन गये नेता पूरे सौ टंच, 
पकड़ लो किसी राजनैतिक पार्टी का मंच।  

अफसरों से रखो मेल, पिलाओ उनको “सोमरस" 
खिलाओ इलायची, पान, छालियां, 
मुंह पर प्रशंसा करो, पीठ पीछे दो गालियां। 
पत्र एवं पत्रकारों पर काबू रखो, 
पी० ए० के रूप में बीबी या बाबू रक्खो। 
अथवा अपना ही निकालो कोई अखबार 
बजाओ निंदा-स्तुति के ढोल 
सेठ लोगों की खोलो पोल। 
इस विजनिस में रत्ती भर नहीं धोखा, 
हर्रा लगे न फिटकरी, रंग आयेगा चोखा।
...

भिखारी - प्रदीप चौबे

एक भिखारी ने
हमसे कहा--
गरीबों की सुनो
वो
तुम्हारी सुनेगा,
तुम
एक पैसा दोगे
वो दस लाख देगा |
हमने कहा--
तू गारंटी लेगा?
अबे
भगवान्
क्या इतना मूर्ख है,
एक पैसा लेकर
दस लाख देगा,
और नहीं दिया
तो मेरा
एक पैसा कौन वापस करेगा?
सुनते ही
भिखारी
खिसिया गया
बोला--
बाबूजी,
आपसे मिलकर
हो न हो
कोई
मजा आ गया पहुँचे हुए कलाकार हम तो
आप हैं,
केवल भिखारी हैं,
आप तो
हमारे भी
... !
...

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