नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
दोहे
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस, डा मानव के दोहों का संकलन।

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भक्ति दोहा संग्रह - भारत-दर्शन संकलन

चार वेद षट शास्त्र में, बात मिली हैं दोय ।
दुख दीने दुख होत है, सुख दीने सुख होय ॥ १ ॥

ग्रंथ पंथ सब जगतके, बात बतावत तीन ।
राम हृदय, मनमें दया, तन सेवा में लीन ॥ २ ॥

तन मन धन दै कीजिये, निशिदिन पर उपकार।
यही सार नर देहमें, वाद-विवाद बिसार ॥ ३ ॥

चींटीसे हस्ती तलक, जितने लघु गुरु देह।
सबकों सुख देबो सदा, परमभक्ति है येह ॥ ४ ॥

काम क्रोध अरु लोभ मद, मिथ्या छल अभिमान ।
इनसे मनकों रोकिबो, साँचों व्रत पहिचान ॥ ५ ॥

श्वास श्वास भूले नहीं, हरिका भय अरु प्रेम।
यही परम जय जानिये, देत कुशल अरु क्षेम ॥ ६ ॥
 
मान धाम धन नारिसुत, इनमें जो न असक्तः ।
परमहंस तिहिं जानिये, घर ही माहिं विरत ॥ ७ ॥

प्रेिय भाषण पुनि नम्रता, आदर प्रीति विचार।
लज्जा क्षमा अयाचना, ये भूषण उर धार ॥ ८ ॥

शीश सफल संतनि नमें, हाथ सफल हरि सेव।
पाद सफल सतसंग गत, तव पावै कछु मेव ॥ ९ ॥

तनु पवित्र सेवा किये, धन पवित्र कर दान ।
मन पवित्र हरिभजन कर, हॉट त्रिविधि कल्यान  ॥ १० ॥

[ दोहा-संग्रह, गीता प्रेस, गोरखपुर ]
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माँ पर दोहे | मातृ-दिवस - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

जब तक माँ सिर पै रही बेटा रहा जवान।
उठ साया जब तै गया, लगा बुढ़ापा आन॥
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डॉ सुधेश के दोहे - डॉ सुधेश

हिन्दी हिन्दी कर रहे 'या-या' करते यार। 
अंगरेजी में बोलते जहां विदेशी चार॥
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