हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।

मुक्तिबोध की हस्तलिपि में कविता

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh

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