हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है। - शंकरराव कप्पीकेरी

कसौटी

 (काव्य) 
Print this  
रचनाकार:

 प्रीता व्यास | न्यूज़ीलैंड

वो मेरे लिए ला सकता है
फलक के चाँद-तारे
नहीं ला सकता तो
क्राइसिस के दिनों में
गैस का सिलेंडर।

वो ला सकता है मेरे लिए
हथेली पर उगा कर सरसों
नहीं ला सकता तो
एक अदद नियुक्ति पत्र।

वो कर सकता है मेरे लिए
रात को दिन, दिन को रात
नहीं कर सकता मगर
वक्त पर मुझे टेलीफोन।

जान दे सकता है मेरे लिए
नहीं दे सकता
तो एक सुलझा हुआ जीवन
वैसे कितनी ऊँची हैं
मेरे लिए
उसकी चाहतें
और कितनी घटिया है
मेरी कसौटी।

-प्रीता व्यास

Back

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें