पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है। - अज्ञात।

अंततः

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas

बाहर से लहूलुहान
आया घर
मार डाला गया
अंततः

-जयप्रकाश मानस
[ अबोले के विरुद्ध, शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली ]

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