लम्हा इक छोटा सा फिर उम्रे दराजाँ दे गया दिल गया धड़कन गयी और जाने क्या-क्या ले गया
वो जो चिंगारी दबी थी प्यार के उन्माद की होठ पर आई तो दिल पे कोई दस्तक दे गया
उम्र पहले प्यार की हर पल ही घटती जा रही उसकी आँखों का ये आँसू जाने क्या कह के गया
प्यार बेमौसम का है बरसात बेमौसम की है बात बरसों की पुरानी दिल पे ये लिख के गया
थी जो तड़पन उम्र भर की एक पल में मिट गयी तेरी छुअनों का वो जादू दिल में घर करके गया
-डॉ० भावना कुँअर सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) |