पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय सहस्रगुना अच्छी है। - अज्ञात।

भलि भारत भूमि

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 तुलसीदास | Tulsidas

भलि भारत भूमि भले कुल जन्मु समाजु सरीरु भलो लहि कै।
करषा तजि कै परुषा बरषा हिम मारुत धाम सदा सहि कै॥
जो भजै भगवानु सयान सोई तुलसी हठ चातकु ज्यों ज्यौं गहि कै।
न तु और सबै बिषबीज बए हर हाटक कामदुहा नहि कै॥

- तुलसीदास

 

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