गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में बुझे दिल की लगी भी तो ए यार होली में।
नहीं यह है गुलाले सुर्ख़ उड़ता हर जगह प्यारे ये आशिक ही है उमड़ी आहें आतिशबार होली में।
गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में।
है रंगत जाफ़रानी रुख़ अबीरी कुमकुम कुछ है, बने हो ख़ुद ही होली तुम ए दिलदार होली में।
रसा गर जामे-मय ग़ैरों को देते हो तो मुझको भी नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली में।
-भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |