छीन सकती है नहीं सरकार वन्देमातरम् ।
हम गरीबों के गले का हार वन्देमातरन्  ॥१॥
सर चढ़ों के सर में चक्कर उस समय आता जरूर ।
कान मे पहुँची जहाँ झन्कार वन्देमातरम् ॥२॥
हम वही है जो कि होना चाहिए इस वक़्त पर ।
आज तो चिल्ला रहा संसार वन्देमातरम् ॥३॥
जेल मे चक्की घसीटें, भूख से ही मर रहा ।
उस समय भी बक रहा बेज़ार वन्देमातरम् ॥४॥
मौत के मुहँ पर खड़ा है, कह रहा जल्लाद से-
भोंक दे सीने में वह तलवार  वन्दे मातरम ॥५॥
डाक्टरों ने नब्ज देखी, सिर हिला कर कह दिया ।
हो गया इसको तो यह आज़ार वन्देमातरम् ॥६॥
ईद, होली, दसहरा, सुबरात से भी सौगुना ।
है हमारा लाड़ला त्योहार वन्देमातरम् ॥७॥
जालिमों का जुल्म भी काफूर सा उड़  जायेगा ।
फैसला होगा सरे दरबार- वन्देमातरम्  ॥ ८ ॥
[स्वतंत्रता की झंकार ]
