मैं अबोध सा बालक तेरा,
ईश्वर! तू है पालक मेरा ।
         हाथ जोड़ मैं करूँ वंदना,
         मुझको तेरी कृपा कामना ।
मैं हितचिंतन करूँ सभी का,
बुरा न चाहूँ कभी किसी का ।
         कभी न संकट से भय मानूँ,
         सरल कठिनताओं को जानूँ ।
प्रतिपल अच्छे काम करूँ मैं,
देश का ऊँचा नाम करूँ मैं ।
         दुखी जनों के दुःख हरूँ मैं,
         यथा शक्ति सब को सुख दूँ मैं ।
गुरु जन का सम्मान करूँ मैं,
नम्र, विनीत, सुशील बनूँ मैं ।
 
        मंगलमय हर कर्म हो मेरा,
        मानवता ही धर्म हो मेरा ।
            - डा राणा प्रताप सिंह 'राणा'
               [मीठे बोल]