विपदाओं से मुझे बचाओ, यह न प्रार्थना,
 विपदाओं का मुझे न होवे भय ।
 दुःख से दुखे हृदय को चाहे न दो सांत्वना,
 दुःखों जिसमें कर पाऊँ जय ।
जो सहाय का जुटे न संबल
 टूट न जाये पर अपना बल
 क्षति जो घटे जगत् में केवल मिले वंचना, 
 अपने मन में मानूं किन्तु न क्षय ।
मेरा त्राण करो तुम मेरी यह न प्रार्थना,
 तरने का बल  कर पाऊँ संचय ।
 मेरा भार घटा कर चाहे न दो सांत्वना,
 ढो पाऊँ इतना तो हो निश्चय ।
शीश झुकाये जब आये सुख
 लँ मैं चीन्ह तुम्हारा ही मुख
 निखिल धरा जिस दिन दुख-निशि में करे वंचना
 तुम पर करूँ न मैं कोई संशय ।
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साभार - गीतांजलि, भारती भाषा प्रकाशन (1979 संस्करण), दिल्ली
अनुवादक - हंसकुमार तिवारी
Hindi Geetanjli by Rabindranath Tagore
