अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।
ज़िंदगी (काव्य)    Print this  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

लाचारी है,
बीमारी है,
...फिर भी
ज़िंदगी सभी को प्यारी है!

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- रोहित
  संपादक, भारत-दर्शन
  न्यूज़ीलैंड


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