समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है। -सर जार्ज ग्रियर्सन।
मरा हूँ हज़ार मरण (काव्य)    Print this  
Author:सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala'

मरा हूँ हज़ार मरण 
पाई तब चरण-शरण। 
फैला जो तिमिर-जाल 
कट-कटकर रहा काल, 

अँसुओं के अंशुमाल, 
पड़े अमित सिताभरण। 

जल-कलकल-नाद बढ़ा, 
अंतर्हित हर्ष कढ़ा, 
विश्व उसी को उमड़ा, 
हुए चारु-करण सरण। 

-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

Previous Page  |   Next Page
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें