जय भारत, जय वंदे मातरम्॥ जय-जय भारत जय-जय भारत, जय-जय भारत, वंदे मातरम्। जय भारत, जय वंदे मातरम्।।
एक वाक्य है केवल, जिसको दुहराना है, आर्यभूमि की आर्य नारियों नर सूर्यों को : वंदे मातरम्। जय भारत, जय वंदे मातरम्।।
एक वाक्य है केवल, जिसको दुहराना है, घुट-घुटकर मरते भी अति पीड़ित जन-जन को : वंदे मातरम्। जय भारत जय वंदे मातरम्।।
प्राण जाएँ पर चिर नूतन उमंग से भरकर केवल एक वाक्य गाएँगे हम सब मिलकर : वंदे मातरम्। जय भारत, जय वंदे मातरम्॥
जय-जय भारत, जय-जय भारत, जय-जय भारत, वंदे मातरम्। जय भारत, जय वंदे मातरम्॥ मूल शीर्षक : 'वंदे मातरम्'
-सुब्रह्मण्य भारती
(साभार : सुब्रह्मण्य भारती की राष्ट्रीय कविताएं एवं पांचाली शपथम्, रूपांतर: नागेश्वर सुंदरम्, विश्वनाथ सिंह विश्वासी) |