पापाजी का पैन चुरा कर मूँछ बनाई मोनू ने। दादा जी का बेंत उठाकर पूंछ लगाई मोनू ने।
करने लगे उत्पात अनेक उछल-उछल कर फिर घर में किया नाक में दम सभी का मोनू जी ने पल-भर में।
मम्मी के समझाने से भी न मोनू महाशय माने। डंडाजी जब दिए दिखाई, तब आये होश ठिकाने।
-डॉ रामनिवास मानव [ धूम मचाते मोनू जी, अनुपम प्रकाशन, जयपुर ]
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