अब अँधेरों से लिपटकर यूँ ना रोया कीजिए हो घड़ी भर के लिए पर, कुछ तो सोया कीजिए
बन्द रहने दो ये आँसू,अपने दिल की सीप में कीमती मोती हैं ये, इनको ना खोया कीजिए
यूँ सफर ये जिंदगी का,है बहुत मुश्किल मगर साथ में मिल के जिए जो, पल सँजोया कीजिए
बंद आँखों में सजे, सपनों के हैं बादल घने आँसुओं की धार से, उनको ना धोया कीजिए उग रही हो पौध जब आँतक की ही हर तरफ़ उस जमी पर प्यार के कुछ, बीज बोया कीजिए
-डॉ० भावना कुँअर सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) |