विद्या, साहस, धैर्य, बल, पटुता और चरित्र। बुद्धिमान के ये छवौ, है स्वाभाविक मित्र ।।
नारिकेल सम हैं सुजन, अंतर, दयानिधान । बाहर मृदु भीतर कठिन, शठ हैं बेर समान ॥
आकृति, लोधन, वचन, मुख, इंगित, चेष्टा, चाल । बतला देते हैं यही, भीतर की सब हाल ।।
शस्त्र वस्त्र भोजन भवन, नारी सुखद नवीन । किन्तु अन्न, सेवक, सचिव, उत्तम हैं प्राचीन ।।
- रामनरेश त्रिपाठी [ पद्यपीयूष ]
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