हिंदी के पुराने साहित्य का पुनरुद्धार प्रत्येक साहित्यिक का पुनीत कर्तव्य है। - पीताम्बरदत्त बड़थ्वाल।
उदयभानु ‘हंस' के हाइकु  (काव्य)    Print this  
Author:उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans

युवक जागो!
अपना देश छोड़
यूँ मत भागो!

#

नारी-जीवन --
कभी मिले सिन्दूर
कभी तन्दूर।

#

सब हैरान
क्रिकेट का खेल है 
सोने की खान!

#

गुप्त व्यापार
प्रकट हो जाए तो
है भ्रष्टाचार।

#

तुम स्वतन्त्र
फिल्मी गानों को सुनों
या वेदमन्त्र।

-डॉ. उदयभानु ‘हंस'

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