राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।

नया वर्ष (काव्य)

Print this

रचनाकार: डॉ० राणा प्रताप गन्नौरी राणा

नया वर्ष आया नया वर्ष आया,
नया हर्ष लाया नया हर्ष लाया ।

नया साज़ छेड़ें नया गीत गाएं,
गए साल की हैं जो बातें भुलाएं

नया हौसला हो नयी हों उमंगें,
ख़्यालों के अन्दर नयी हों तरंगें ।

नए स्वप्न हों कल्पनाएँ नयी हों,
दिशाएँ नई योजनाएं नयी हों ।

नए जोश से काम में मग्न हों हम,
पढ़ाई लिखाई में संलग्न हों हम ।

- डॉ० राणा प्रताप सिंह गन्नौरी

Back

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें