छत पर आकर बैठा कौवा,
कांव-कांव चिल्लाया ।
मुन्नी को यह स्वर ना भाया,
पत्थर मार भगाया ।
तभी वहां पर कोयल आई,
कुहू-कुहू चिल्लाई ।
उसकी प्यारी-प्यारी बोली,
मुनिया के मन भाई ।
मुन्नी बोली प्यारी कोयल,
रहो हमारे घर में ।
शक्कर से भी ज्यादा मीठा,
स्वाद तुम्हारे स्वर में ।
मीठी बोली वाणी वाले,
सबको सदा सुहाते ।
कर्कश कड़े बोल वाले कब,
दुनिया को हैं भाते !
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव