हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।

मोर (बाल-साहित्य )

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Author: जय प्रकाश भारती

उमड़ उमड़ कर बादल आते
देख-देख खुश होता मोर ।
रंग-गीले पंख खोलकर
नाच दिखाता, करता शोर ।
अपने पाँव देख लेता जब
तो बेचारा होता बोर ।

-जय प्रकाश भारती

[ 100 श्रेष्ठ बालगीत, गीतांजलि प्रकाशन ]

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