उमड़ उमड़ कर बादल आते
देख-देख खुश होता मोर ।
रंग-गीले पंख खोलकर
नाच दिखाता, करता शोर ।
अपने पाँव देख लेता जब
तो बेचारा होता बोर ।
-जय प्रकाश भारती
[ 100 श्रेष्ठ बालगीत, गीतांजलि प्रकाशन ]
मोर (बाल-साहित्य ) |
उमड़ उमड़ कर बादल आते
देख-देख खुश होता मोर ।
रंग-गीले पंख खोलकर
नाच दिखाता, करता शोर ।
अपने पाँव देख लेता जब
तो बेचारा होता बोर ।
-जय प्रकाश भारती
[ 100 श्रेष्ठ बालगीत, गीतांजलि प्रकाशन ]