जानिए, मोती कैसे बनते हैं
समुद्र में कई ऐसे जीव पाए जाते हैं, जो मनुष्यों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। इन्हीं में से एक है मोती बनाने वाला घोंघा।
आपने मोतियों से बनी माला पहनी होगी या कम से कम देखी जरूर होगी। मोती न केवल आभूषण बनाने में उपयोगी है, बल्कि अन्य कई क्षेत्रों में भी इसका इस्तेमाल होता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि मोती बनता कैसे है? यदि आपने अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की प्रसिद्ध कविता ‘ज्यों निकल कर बादलों की गोद से’ पढ़ी है, तो आपको मोती बनने की प्रक्रिया का अनुमान हो सकता है। अगर नहीं पढ़ी, तो जरूर पढ़ें। इस कविता में बूंद के मोती में बदलने की सुंदर प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
अब जानते हैं कि मोती कैसे बनते हैं।
मोती घोंघों द्वारा बनाए जाते हैं। समुद्र में जहाँ घोंघे अधिक होते हैं, वहीं मोती बनने की संभावना भी अधिक होती है। घोंघे भोजन की तलाश में लगातार घूमते रहते हैं, जिससे रेत के छोटे-छोटे कण उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये कण उन्हें असुविधा देते हैं, और इससे बचने के लिए घोंघा इन कणों के चारों ओर एक लेसदार पदार्थ लपेट देता है। यह लेसदार पदार्थ, जो घोंघे के शरीर से निकलता है, कैल्शियम कार्बोनेट होता है। समय के साथ यह परत सख्त हो जाती है और मोती का रूप ले लेती है।
आजकल मोतियों की बढ़ती मांग को देखते हुए कृत्रिम ढंग से मोती तैयार किए जाते हैं। इस प्रक्रिया को मोती की खेती कहा जाता है। इसमें घोंघे के खोल (सीप) में एक छोटा सा छेद किया जाता है और उसमें रेत का कण डाल दिया जाता है। इसके बाद घोंघा स्वाभाविक प्रक्रिया के तहत उस कण के चारों ओर कैल्शियम कार्बोनेट की परत चढ़ा देता है, जिससे मोती बनता है।
समुद्र से प्राकृतिक मोती निकालने का काम कुशल गोताखोर करते हैं, जो गहराई में जाकर घोंघों को खोजते हैं।
- रोहित कुमार हैप्पी