मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।

एक दरी, कंबल, मफलर  (काव्य)

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Author: अशोक वर्मा

एक दरी, कंबल, मफलर, मोज़े, दस्ताने रख देना 
कुछ ग़ज़लों के कैसेट, कुछ सहगल के गाने रख देना 

छत पर नए परिंदों से जब खुलकर बातें करनी हों, 
एक कटोरे में पानी, दूजे में दाने रख देना 

प्यार से तुम बच्चों को रखना, और अगर वे रूठें तो, 
नन्ही परियों के कुछ किस्से नए-पुराने रख देना 

घर में आए मेहमानों को घर-सा ही आराम मिले, 
उनकी ख़ातिर सब चीज़ों को ठौर-ठिकाने रख देना 

हर पल खुशबू से चहकेगा, करते रहना इतना बस 
परेशान चेहरों के लब पर कुछ मुस्कानें रख देना

-अशोक वर्मा

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