भारत की परंपरागत राष्ट्रभाषा हिंदी है। - नलिनविलोचन शर्मा।

अच्छा है पर कभी-कभी (काव्य)

Print this

Author: अच्छा है पर कभी-कभी | हास्य

बहरों को फ़रियाद सुनाना, अच्छा है पर कभी-कभी 
अंधों को दर्पण दिखलाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

ऐसा न हो तेरी कोई, उँगली ग़ायब हो जाए 
नेताओं से हाथ मिलाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

बीवी को बंदूक़ सिखाकर तुमने रिस्की काम किया 
अपनी लुटिया आप डुबाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

हाथ देखकर पहलवान का, अपना सिर फुड़वा बैठे 
पामिस्ट्री में सच बतलाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

तुम रूहानी शे'र पढ़ोगे, पब्लिक सब भग जाएगी 
भैंस के आगे बीन बजाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

घूँसे-लात चले आपस में, संयोजक का सिर फूटा 
कवियों को दारू पिलवाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

पच्चीस डॉलर जुर्माने के पीक थूकने में ख़र्चे 
वाशिंगटन में पान चबाना, अच्छा है पर कभी-कभी 

-हुल्लड़ मुरादाबादी

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश