हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।

पाँच हाइकु (काव्य)

Print this

Author: डॉ. भगवतशरण अग्रवाल

महँगा सौदा
बचपन खोकर
मिली जवानी।

धरा सुदरी
श्रावण में पहने
हरी चूनरी।

घृणा, प्रेम में,
अवरोध बनी क्या?
कोई भी भाषा।

कोई भी रात
इतनी काली नहीं--
सूर्य न देखे।

उम्र के साथ
एक एक टूटते
जीवन भ्रम।

- डॉ. भगवतशरण अग्रवाल
[सबरस हाइकु काव्य, साहित्य भारती प्रकाशन, अहमदाबाद]

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश