जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

तीन हाइकु (काव्य)

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Author: पवन कुमार जैन

कोरोना भी है
रोटी के लिए कुछ
करना भी है।

जोहते बाट
बारी-बारी पहुँचे
श्मसान घाट।

सर्व सम्पन्न
धन-साधन-अन्न
मन विपन्न

-पवन कुमार जैन

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