हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। - स्वामी दयानंद।

कर्मवीर मिस्टर गाँधी (काव्य)

Print this

Author: पांडेय लोचन प्रसाद शर्मा

शत शत बाधा-विघ्नों से भी वीर-हृदय कब रुकता है।
नीच नरों के सम्मुख आर्य-वीर-मस्तक कब झुकता है॥
'देशमान' रखने में तुमने बड़ी अजब हिम्मत बाँधी।
जुग जुग जीमो कर्मवीर तुम देशभक्त मिस्टर गाँधी ॥१॥

जब तक प्राण रहेंगे तन में, हम न बनें जीवन्मृत दास।
सत्य न्याय मर्यादा के हित त्यागेंगे सब भोग विलास॥
जेल जाँयगे, क्षुधित रहेंगे, सहें सभी पानी आँधी।
ऐसे व्रत के व्रती धन्य तुम देशभक्त मिस्टर गाँधी ॥२॥

सभी जाति हो प्रजा-तन्त्र-प्रिय, पक्षपात का होवे नाश ।
ज़बरदस्त मत छीन सके फिर दीन-जनों के मुख का ग्रास ।
भूतल में फिर रामराज्य हो कलियुग में आवे त्रेता ॥
कर्मवीर मिस्टर गांधी से न्यायनिष्ठ जब हों नेता ॥३॥

हिंसा प्रिय दानव-गण होवें धर्म भीरु मानव मृदु प्राण ।
मिटे द्वेष अन्याय, बनें सब काले गोरे एक समान ॥
शुभ समत्व का तत्व व्याप्त हो, रहे न कोई जित जेता ।
कर्मवीर मिस्टर गाँधी से न्यायनिष्ठ जब हों नेता ॥४॥

धन्य तुम्हारे तात-मात हैं, धन्य सुरम्य काठियावाड़।
बना आज यह जगत नेत्र में गौरव-गेह अन्य मेवाड़॥
जा विदेश-तुम बिना कौन ? निजदेश-हेतु *सर्बस देता।
जुग जुग जीओ, मिस्टर गाँधी, कर्मवीर भारत नेता ॥५॥

-पांडेय लोचन प्रसाद शर्मा

सर्बस =सर्वस्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)

"कर्मवीर मिस्टर गांधी" बापू पर लिखी गई सर्वप्रथम हिंदी कविता कही जा सकती है। लोचन प्रसाद ने 1914 में शायद भविष्य पढ़ लिया था और 'मिस्टर एम. के. गांधी' में 'राष्ट्रपिता' देख लिया था।

लोचन प्रसाद पाण्डेय (4 जनवरी, 1887 - 18 नवम्बर, 1959 ) हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। इन्होंने हिंदी एवं उड़िया दोनों भाषाओं में काव्य किया।

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश